जब कभी कभी यह अपना मन उलझा उलझा से लगता है
तुम आते हो आ करके फिर उलझन को दफ़ना जाते हो
तुम खुशियाँ लेकर आते हो।
होकर मायूस कभी जो मैं आँखों मे आँसू भरता हूँ
तुम आते हो आ करके फिर आँसू सारा पी जाते हो
तुम खुशियाँ लेकर आते हो।
जब दिल टूटे, आँखे रोतीं, पीड़ा का अंबार लगे
तुम आते हो, आ करके फिर पीड़ा सारी हर जाते हो
तुम खुशियाँ लेकर आते हो।
Vaaaah....bhut hi behatreen rachna....aapko...bhut bhut badhai mohit ji
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