जाने कितनी खुशबुओं को साथ ले बहती हवा
ले के संदेशों को आई ज्यों कि हो चिट्ठी हवा।
पास कुछ पल बैठकर देखो कि ग़म मिट जाएंगे
बह रही है खिड़कियों से माँ की थपकी सी हवा।
ख़ुशनुमा मौसम बनाने, दूर करने को उमस
सागरों की गोद से बादल चुरा लाई हवा।
ले पतंगें दूर तक, आकाश भर मुस्कान की-
बन वजह, सबके हृदय को खूब है भाती हवा।
रूप को अपने तरल करके मधुरता भर रही
ज्यों हो कोई दार्जिलिंग के चाय की प्याली हवा।
मुस्कराती है वो लड़की और शर्माती भी है
जानती है इस समय भी देखती होगी हवा।
तुम भी दो पल बैठकर के हाले दिल को बाँट लो
हर अकेले शख़्स से है बात कुछ करती हवा।
लेके 'मोहित' के हृदय की धड़कनों की कम्पनें-
जाती है उस तक, व उसकी धड़कनें लाती हवा।