Monday 19 June 2017

ग़ज़ल (व्यक्ति में अभिव्यक्ति)

व्यक्ति में अभिव्यक्ति होनी चाहिए
हर किसी में शक्ति होनी चाहिए।

खेल जाएँ जान पर इसके लिए
भारती की भक्ति होनी चाहिए।

पुण्य कर्मो में सदा हम रत रहें
पाप से तो मुक्ति होनी चाहिए।

हो न हिन्दू या कि मुस्लिम हम सभी
एकता की शक्ति होनी चाहिए।

जो कि अमृत पान हो मनु के लिए
वेद सी हर पंक्ति होनी चाहिए।

Friday 2 June 2017

प्यार के बीज बोने चला हूँ (ग़ज़ल)

सब लुटाकर मिला जो भी मुझको आपका आज होने चला हूँ
गीत गाकर हृदय में सभी के प्रेम का बीज बोने चला हूँ।

तू गया जबसे बेचैन हूँ मैं अब्र आँखों में मेरी बसे हैं
तेरी यादों को सिरहाने रखकर आज तकिये भिगोने चला हूँ।

गीत-संगीत, कविता-ग़ज़ल और चूड़ियों की खनक वो निराली
चाँद की वो चमक, पायलों की झनक अब सभी को मैं खोने चला हूँ।

दिल धड़कता था तकता तुझे जब अब इसे सांस आती नहीं है
बिन तेरे है नहीं कुछ ये जीवन अब सदा को मैं सोने चला हूँ

मैं न शायर न ये शायरी है लफ्ज़ सारे हकीकत हैं मेरे
ज़िन्दगी की कहानी सुनाकर अब रुलाने औ' रोने चला हूँ।

प्रेम-पत्र

प्रिये! तुम कहाँ हो? कैसी हो? इन सबके बारे में मुझे कुछ नहीं पता। सिर्फ कल्पनायें कर सकता हूँ, कि जहाँ हो, कुशल से हो। बीते एक साल में जीवन...