तुम सुनो! मैं तो तुम्हें बस प्यार करना चाहता हूँ।
बैठकर गंगा किनारे घाट की उन सीढ़ियों पर
एक चुटकी लालिमा लेकर किसी दिन सूर्य से फिर
मैं तुम्हारी माँग का शृंगार करना चाहता हूँ
तुम सुनो! मैं तो तुम्हें बस प्यार करना चाहता हूँ।
अधर पर रखकर के रक्तिम पंखुड़ी ताजे कमल की
और मलकर रंग गालों पर गुलाबों का गुलाबी
मैं तुम्हारे रूप को गुलजार करना चाहता हूँ
तुम सुनो! मैं तो तुम्हें बस प्यार करना चाहता हूँ।
मैं तुम्हारी इक हथेली को हथेली में पकड़कर
और काँधे पर टिकाकर सिर तुम्हें निज अंक भरकर
स्वप्न जो देखे उन्हें साकार करना चाहता हूँ
तुम सुनो! मैं तो तुम्हें बस प्यार करना चाहता हूँ।
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