जिसे देखकर अधर हमारे अनायास खुल जाते हैं
जिसकी खुशबू पाकर हम तो यूँ ही पगला जाते हैं
एक पंखुड़ी जिसकी मन को अद्भुत शांति दे जाती है
जिसपर सम्मोहित हो दुनिया निर्मल मन की हो जाती है
लेता न तनिक भी हमसे कुछ वो बस हमको ही देता है
उसको धूल मिलाकर मानव अपनी जय जय करता है
हाँ! वह दुर्बल है, कमजोर है, किन्तु बहुत ही अच्छा है
बस वो तेरा प्रेमी है प्यार उसी का सच्चा है
गर सचमुच के तुम मानव हो लालच को अस्वीकार करो
सर्वस्व लुटा दो जगती पर पूरी दुनिया से प्यार करो
यदि पढ़ना है तो पढो पुष्प से जो तेरी ख़ातिर जीता है
तुम पर सब न्यौछावर करता बिन तेरे बिलकुल रीता है
कटुता न देती तनिक चैन इसको मत अंगीकार करो
जीना है तो घुलमिल के जियो, बस प्यार करो बस प्यार करो।