देख रहा हूँ आज सुबह से ही खोई खोई सी हो
बोलो भी क्या बात हो गयी क्यों तुम मुझसे रूठी हो?
उगता सूरज, उड़ते पक्षी, गंगा तट और इंद्रधनुष
एक साथ ही दिखे जहाँ सब ऐसी कोई खिड़की हो
तुमने कभी नहीं जतलाया पर मुझको मालूम है ये
चाह रही हो प्रोफाइल पर संग में अपनी सेल्फी हो
मन में जितने भाव उठ रहे सब में हो बस तुम ही तुम
सम्मोहन का ऐसा जादू कहो कहाँ से सीखी हो
खिल उठता है रोम रोम, धड़कन की धक-धक बढ़ती है
नज़र झुकाकर कुछ मुस्काकर जब तुम 'लव यू' कहती हो