खून चूस जनता का डाला फिर भी चैन नहीं तुमको
दाल और रोटी पर ताला फिर भी चैन नहीं तुमको।
एक बूँद जल को वो रोया भटका रोज दिवा निशि में
पी तुमने अंग्रेज़ी प्याला फिर भी चैन नहीं तुमको।
भूख भूख करती थी लाडो फिर चीखी बस प्राण गए
धूम धाम तुमने कर डाला फिर भी चैन नहीं तुमको।
राम राम करते हो नेता पर छूरी भर दी घर घर
पोत दिया उन पर भी काला फिर भी चैन नहीं तुमको।
आँख देख कर आया हूँ मैं जनता खूब सिसकती है
और मजे में तुम हो लाला फिर भी चैन नहीं तुमको।
खूब ग़ज़ब करते हो बातें शक की चांस नहीं रहती
बोल बोल कर देश खंगाला फिर भी चैन नहीं तुमको।