हे चाँद
मैं तुमसे कुछ बातें करना चाहता हूँ।
उस रात जो देखा था मैंने तुमको
कुछ सोच सोच तुम मन्द मन्द मुस्काते थे
एक जगह ही रुके हुए थे तुम लेकिन
कुछ बादल आते थे व्यवधान बनाते थे
सुन लो
उसी तरह फिर रातें करना चाहता हूँ।
हे चाँद.....
मन होता था पास तुम्हारे आकर
रूप तुम्हारा लूँ मैं तुममें खो जाऊँ
नर्म चाँदनी से छू लो तुम मुझको
रंग डाल दो अपना, तुम-सा हो जाऊँ
आओ
साथ तुम्हारे साँसे भरना चाहता हूँ।
हे चाँद.....
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