धुंध घनी है बस कुहरा ही कुहरा है
हर इक पग पर बड़ा भयंकर पहरा है।
उठो दिखाओ तुम अपनी पूरी ताकत
पछताओगे, मौका बड़ा सुनहरा है।
जिसको राजा समझ हराकर हँसते है
वो कुछ और नहीं वो केवल मुहरा है।
शब्दों में ताकत होना आवश्यक है
हर नेता हर अफसर बिल्कुल बहरा है।
जिसने कुछ अच्छा करके दिखलाया है
उसके माथे सज़ा हमेशा सेहरा है।
किसके इंतज़ार में बैठे हो 'मोहित'
वक़्त यहाँ पर किसकी खातिर ठहरा है?
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