Tuesday 27 March 2018

ग़ज़ल (इंसान में शामिल)

जहाँ भगवान होते थे कभी इंसान में शामिल
वहीं इंसान होता जा रहा हैवान में शामिल।

फरेबी, झूठ, धोखा, और मक्कारी भरी दिल में
बस अपने फायदे की बात दिल और जान में शामिल।

यहाँ हर शख्स बाहर और भीतर और ही कुछ है
कुटिलता हो गयी है आजकल मुस्कान में शामिल।

खड़े होकर कराना गिद्ध भोजन बन गया फैशन
अजब सा शौक़ अब तो हो गया सम्मान में शामिल।

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