आज के समय में
प्यार के कई रूप हो गए हैं
पहला
जिसमें लड़का
क्लास में पहले ही दिन
लड़की को देखता है
और फिर साल भर उसके पीछे भागता रहता है।
दोस्तों से उसकी बातें करता है
बस उसी को देखता है
क्लास भी आता है तो इसलिए
कि क्लास नहीं आएगा तो देखेगा कैसे।
जैसे तैसे हिम्मत बटोरकर
फरवरी माह के एक रोज
दोस्तों की सलाह पर
कर देता है इजहार-ए-इश्क़।
दूसरा प्यार वो होता है
जिसमें लड़का बहुत शर्मीला होता है
वो लड़की को छुप छुप कर देखता है
इस डर से
कि कहीं कोई उसे,
उसे देखते हुए न पकड़ ले।
फिर वह अपने किसी एक दोस्त को बताता है
हिम्मत बटोरते बटोरते डिग्री मिल जाती है
और प्रेमी
अगले कॉलेज की
किसी और लड़की में
अपनी प्रेमिका तलाशना शुरू कर देता है।
एक ओ प्यार होता है,
जहाँ लड़का लड़की पहले दोस्त बनते हैं
एक दूसरे के दुख दर्द बांटते हैं
एक दूसरे को जानते हैं
हंसते हैं, रोते हैं
इन्हें फ़िकर भी नहीं होती
इस बात की
कि फरवरी के किस दिन इजहार करें।
इनका प्रेम चलता रहता है
बिना कुछ कहे
फिर एक दिन
जब लड़की की शादी तय हो रही होती है
तो लड़का उदास हो जाता है
उसके आँसू कर देते हैं इजहार
उसके प्रेम का।
पर लड़की मजबूर होती है
पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से
और लड़का
लड़का तो प्यार करता है न
उसको फ़िकर होती है
कि अब अगर कुछ कहा,
तो क्या होगा
लड़की की इज्जत का
उसके परिवार का।
और फिर ये प्रेम
रहता है
शाश्वत
बिन कहे
बिन मिले
तब तक
जब तक
चाँद अपनी शीतल छाया
और सूरज अपने गर्माहट से
मौसम को ठंडा रखते हैं।

Tuesday, 27 March 2018
प्यार के रूप
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