Saturday 27 May 2017

बस प्यार करो

जिसे देखकर अधर हमारे अनायास खुल जाते हैं
जिसकी खुशबू पाकर हम तो यूँ ही पगला जाते हैं
एक पंखुड़ी जिसकी मन को अद्भुत शांति दे जाती है
जिसपर सम्मोहित हो दुनिया निर्मल मन की हो जाती है

लेता न तनिक भी हमसे कुछ वो बस हमको ही देता है
उसको धूल मिलाकर मानव अपनी जय जय करता है
हाँ! वह दुर्बल है, कमजोर है, किन्तु बहुत ही अच्छा है
बस वो तेरा प्रेमी है प्यार उसी का सच्चा है

गर सचमुच के तुम मानव हो लालच को अस्वीकार करो
सर्वस्व लुटा दो जगती पर पूरी दुनिया से प्यार करो
यदि पढ़ना है तो पढो पुष्प से जो तेरी ख़ातिर जीता है
तुम पर सब न्यौछावर करता बिन तेरे बिलकुल रीता है

कटुता न देती तनिक चैन इसको मत अंगीकार करो
जीना है तो घुलमिल के जियो, बस प्यार करो बस प्यार करो।

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