Tuesday 23 May 2017

गीत प्यार के गाते हैं

अपनी पीड़ा गान बनाकर
         मुश्किल को आसान बनाकर
                  आँसू को मुस्कान बनाकर
                            हँसते और हँसाते हैं।
गीत प्यार के..............................गाते हैं।

मुझ तक जो कुछ भी पहुँचा वो मैंने सदा लुटाया,
जितना संभव हो सकता था, मैंने प्रेम जताया,
मन में अमिट विश्वास बनाकर
         अपने रुदन को हास बनाकर
                   रोज नया इतिहास बनाकर
                                 आगे बढ़ते जाते हैं।
गीत प्यार के..............................गाते हैं।

जब जी आया खेला, सोया, गाया और बतियाया,
किस्मत में सब अच्छा ही है, क्या खोया-क्या पाया?
साँसों को नवगान बनाकर
           गिरने को उत्थान बनाकर
                   'पत्थर' को 'भगवान' बनाकर
                                  सदा पूजते जाते हैं।
गीत प्यार के...............................गाते हैं।

1 comment:

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