अपनी पीड़ा गान बनाकर
मुश्किल को आसान बनाकर
आँसू को मुस्कान बनाकर
हँसते और हँसाते हैं।
गीत प्यार के..............................गाते हैं।
मुझ तक जो कुछ भी पहुँचा वो मैंने सदा लुटाया,
जितना संभव हो सकता था, मैंने प्रेम जताया,
मन में अमिट विश्वास बनाकर
अपने रुदन को हास बनाकर
रोज नया इतिहास बनाकर
आगे बढ़ते जाते हैं।
गीत प्यार के..............................गाते हैं।
जब जी आया खेला, सोया, गाया और बतियाया,
किस्मत में सब अच्छा ही है, क्या खोया-क्या पाया?
साँसों को नवगान बनाकर
गिरने को उत्थान बनाकर
'पत्थर' को 'भगवान' बनाकर
सदा पूजते जाते हैं।
गीत प्यार के...............................गाते हैं।
बहुत ग़ज़ब
ReplyDelete