Sunday 17 December 2017

ग़ज़ल

गाना गाते घूम रहे हैं
गाल बजाते घूम रहे हैं।

उनको भी फिर रोना होगा
अभी रुलाते घूम रहे हैं।

मुझको ज़हर पिलाने वाले
मौज मनाते घूम रहे हैं।

झूठ छिपा न पाये आखिर
बात बनाते घूम रहे हैं।

छीन लिया मेरी खुशियों को
खुद बलखाते घूम रहे हैं।

खुद उठ जाने के लालच में
मुझे गिराते घूम रहै हैं।

'मोहित' सीधी बात न कहते
मिसरा गाते घूम रहे हैं।

           

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