कविता, ग़ज़ल, कहानी या फिर गीत लिखूँ
लिखूँ किसी की हार किसी की जीत लिखूँ
मन मानव के जोड़ सकूँ आपस में मैं
इसीलिए अक्षर-अक्षर में प्रीति लिखूँ।
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प्रेम-पत्र
प्रिये! तुम कहाँ हो? कैसी हो? इन सबके बारे में मुझे कुछ नहीं पता। सिर्फ कल्पनायें कर सकता हूँ, कि जहाँ हो, कुशल से हो। बीते एक साल में जीवन...
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