कविता, ग़ज़ल, कहानी या फिर गीत लिखूँ
लिखूँ किसी की हार किसी की जीत लिखूँ
मन मानव के जोड़ सकूँ आपस में मैं
इसीलिए अक्षर-अक्षर में प्रीति लिखूँ।
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प्रेम-पत्र
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कभी कभी दिल सोचने पर मजबूर हो जाता है कि कोई इतनी मीठी बातें कैसे कर सकता है? उसकी मीठी बातें उस पर अटूट विश्वास पैदा कर देती हैं, वहीं अखबा...
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